मानसिक स्वास्थ्य क्या है
मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक स्वस्थता की वह स्थिति है जिसमें वह जीवन की चुनौतियों से सामंजस्यपूर्वक निपट सके, अपनी क्षमताओं का एहसास करे, सीखने और काम करने में सक्षम होwho.int। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य केवल मानसिक विकारों की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की भावनात्मक, मानसिक और सामाजिक कुशलता का समुच्चय हैwho.intwho.int। अच्छा मानसिक स्वास्थ्य होने पर व्यक्ति आत्मविश्वासी, सकारात्मक भावनाओं से भरपूर और सामाजिक रूप से सक्रिय रहता है, जबकि मानसिक समस्याएँ होने पर व्यक्ति उदासी, चिंता, डर या अन्य भावनात्मक असमर्थता महसूस कर सकता है।
मानसिक विकारों के प्रकार
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ अनेक प्रकार के मानसिक विकारों के रूप में प्रकट हो सकती हैं। इनमें मूड डिसऑर्डर (जैसे डिप्रेशन/विषादग्रस्तता और बाइपोलर डिसऑर्डर), चिंता विकार (जैसे सामान्यीकृत चिंता, पैनिक डिसऑर्डर, फोबिया), मनोदोष या साइकोटिक विकार (जैसे स्किज़ोफ्रेनिया), विचलनकारी व्यवहार विकार (जैसे ओब्सेसिव-कम्पल्सिव डिसऑर्डर) और तनाव से संबंधित विकार (जैसे पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) प्रमुख हैंwho.intwho.int। उदाहरण के लिए, डिप्रेशन में व्यक्ति को लगातार उदासी या किसी गतिविधि में रुझान न रहने की अनुभूति होती हैwho.int; एंग्जायटी विकारों में अत्यधिक डर और चिंता के साथ शारीरिक तनाव के लक्षण होते हैंwho.intwho.int; बाइपोलर डिसऑर्डर में व्यक्ति को विषाद के दौर के साथ-साथ उत्तेजित (मैनिक) अवस्थाएँ भी अनुभव होती हैंwho.int। ओब्सेसिव-कम्पल्सिव डिसऑर्डर (OCD) में व्यक्ति के मन में अनियंत्रित और बार-बार आवर्ती विचार (obsessions) और अनावश्यक क्रियाएं (compulsions) बनी रहती हैंnimh.nih.gov। स्किज़ोफ्रेनिया में व्यक्ति भ्रम (डेल्यूजन), अवास्तविक ध्वनि सुनना (हैलुसिनेशन) और अव्यवस्थित सोच जैसी गंभीर लक्षणों का अनुभव करता हैwho.int।
लक्षण और संकेत
मानसिक रोगों के लक्षण व्यक्ति और विकार के प्रकार के अनुसार भिन्न हो सकते हैंmayoclinic.org। आमतौर पर इनमें निम्नलिखित लक्षण देखने को मिल सकते हैं:
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उदासी या निराशा की भावनाmayoclinic.org
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भ्रमित या अव्यवस्थित सोच, ध्यान केंद्रित करने में कमीmayoclinic.org
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अत्यधिक चिंता, भय या घबराहटmayoclinic.org
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मूड में अतिव्यापी उतार-चढ़ावmayoclinic.org
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अपने दोस्तों और गतिविधियों से दूरी बनानाmayoclinic.org
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लगातार थकान, उर्जा में कमी या नींद की समस्याmayoclinic.org
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अवास्तविक भय या भटकाव (डेल्यूशन/हैलुसिनेशन)mayoclinic.org
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दैनिक कामों में तनाव सहने में असमर्थताmayoclinic.org
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शराब/नशे की प्रवृत्ति या खाने में बदलावmayoclinic.org
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अत्यधिक गुस्सा, आक्रामकता या आत्मघाती विचारmayoclinic.org
ये लक्षण शारीरिक समस्याओं के रूप में (जैसे सिरदर्द, पेटदर्द) भी प्रकट हो सकते हैं। यदि इनमें से कोई भी लक्षण लगातार कई दिनों से बना रहे और व्यक्ति के काम-काज या संबंधों पर असर डालने लगे, तो चिकित्सकीय परामर्श की आवश्यकता होती हैmayoclinic.orgmayoclinic.org।
मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारण
मानसिक स्वास्थ्य कई जैविक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारणों के प्रभाव से निर्धारित होता हैwho.int। जैविक कारणों में आनुवंशिकी, मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन, हार्मोन संबंधी परिवर्तन आदि शामिल हैं; मनोवैज्ञानिक कारणों में बचपन का ट्रॉमा, व्यक्तित्व, तनावपूर्ण घटनाएं इत्यादि आती हैं; सामाजिक-पर्यावरणीय कारणों में गरीबी, बेरोजगारी, घरेलू हिंसा, सामाजिक असमानता आदि महत्वपूर्ण हैंwho.intwho.int। WHO के अनुसार, भावनात्मक कौशल, आनुवांशिक प्रवृत्तियाँ और नशीली आदतें व्यक्तिगत संवेदनशीलता को बढ़ाती हैं, जबकि गरीबी, हिंसा और सामाजिक असमानताएँ जोखिम को तेज करती हैंwho.int। उदाहरणतः बेरोजगारी, प्रियजन का निधन या चोटिल अनुभव से गुज़रने पर डिप्रेशन की संभावना बढ़ जाती हैwho.int। इस प्रकार, मानसिक विकारों की शुरुआत अक्सर जैविक प्रवृत्ति और प्रतिकूल जीवन परिस्थितियों के जटिल समागम से होती है।
उपचार के तरीके
मानसिक स्वास्थ्य विकारों का उपचार तीन मुख्य श्रेणियों में किया जाता है: मनोचिकित्सा (थेरेपी), दवाइयाँ, और जीवनशैली परिवर्तन। WHO के अध्ययन बताते हैं कि मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप (जैसे संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी, परामर्श) कई मानसिक विकारों, विशेषकर डिप्रेशन और एंग्जायटी में बहुत प्रभावी हैंwho.int। प्रशिक्षित चिकित्सक के मार्गदर्शन में व्यक्तिगत या समूह थैरेपी से व्यक्ति अपने विचारों और भावनाओं को समझकर नियंत्रण कर सकता है। दवाओं में एंटीडिप्रेसेंट्स (जैसे SSRIs), एंटी-एंग्जायटी औषधियाँ, एंटी-साइकोटिक्स (स्किज़ोफ्रेनिया के लिए) और मूड स्टेबलाइजर्स (बाइपोलर के लिए) शामिल हैं, जो मस्तिष्क के रासायनिक संतुलन को सुधारकर लक्षण कम करते हैंwho.intnami.org। इन दवाओं के सेवन से व्यक्ति अधिक ऊर्जावान महसूस करता है और उपचार में अन्य माध्यम अधिक लाभकारी होते हैंnami.org।
जीवनशैली सुधार भी उपचार का अभिन्न हिस्सा है। नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार, पर्याप्त नींद, तनाव प्रबंधन (जैसे ध्यान और योग) और सकारात्मक सामाजिक सम्बंध मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाते हैं। अनुसंधान से पता चला है कि स्वस्थ दिनचर्या न केवल मानसिक विकारों के इलाज में मदद करती है, बल्कि उनकी रोकथाम में भी सहायक हैpsychiatry.orgpsychiatry.org। उदाहरणतः रोजाना टहलना या व्यायाम करने से अवसाद के लक्षण कम होते हैं, और संतुलित आहार (फल, सब्जियां, नट आदि) से मस्तिष्क को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं। अक्सर, थेरेपी, दवा और जीवनशैली परिवर्तनों का सम्मिश्रण सर्वश्रेष्ठ परिणाम देता है।
भारत और दुनिया में आँकड़े
वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य विकार आम हैं। WHO के आंकड़ों के अनुसार 2019 में लगभग 9.7 करोड़ (1 में से 8) लोग किसी न किसी मानसिक विकार से प्रभावित थेwho.int। इनमें चिंता विकार में 3.01 करोड़, डिप्रेशन में 2.80 करोड़ और द्विध्रुवी विकार में 0.40 करोड़ लोग शामिल थेwho.intwho.int। COVID-19 महामारी के दौरान अकेले 2020 में चिंता और डिप्रेशन के मामले क्रमशः 26% और 28% बढ़े। आत्महत्या भी एक गंभीर समस्या है; सालाना 700,000 से अधिक लोग आत्महत्या कर लेते हैंwho.int।
भारत में स्थिति भी चिंताजनक है। एक अध्ययन के अनुसार भारत में 2017 में लगभग 197.3 मिलियन लोग (लगभग प्रत्येक दसवां नागरिक) मानसिक विकारों से ग्रस्त थेjournals.lww.com। WHO के अनुसार भारत में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का बोझ प्रति 100,000 जनसंख्या 2443 DALYs है और आत्महत्या दर 21.1 प्रति 100,000 हैwho.int। राष्ट्रीय सर्वेक्षण (NMHS 2015–16) ने पाया कि भारत में मानसिक रोगों का आजीवन प्रसार लगभग 13.7% हैpmc.ncbi.nlm.nih.gov। दुर्भाग्यवश उपचार का गहरा अंतर है – विभिन्न विकारों में 70–90% लोग इलाज प्राप्त नहीं करतेpmc.ncbi.nlm.nih.gov। उदाहरण स्वरूप सामान्य मानसिक विकार (जैसे अवसाद, चिंता) का उपचार अंतर लगभग 85% हैpmc.ncbi.nlm.nih.gov। इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि अधिक से अधिक लोगों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने की आवश्यकता है।
मानसिक स्वास्थ्य सहायता और हेल्पलाइन संसाधन
भारत में मानसिक स्वास्थ्य सहायता के लिए कई निशुल्क हेल्पलाइन और संसाधन उपलब्ध हैं। केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा संचालित 24×7 मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास हेल्पलाइन “KIRAN” पर 1800-599-0019 डायल करके मदद मिल सकती हैpatientsengage.com। हाल ही में सरकार ने Tele-MANAS प्रोग्राम आरंभ किया है, जिसकी टोल-फ्री संख्या 14416 (या 1-800-891-4416) है, जहाँ स्थानीय भाषा में काउंसलिंग उपलब्ध हैpatientsengage.com। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) का iCALL हेल्पलाइन 91529-87821 (दिन 10:00 से शाम 8:00, सोमवार से शनिवार) पर मुफ्त फोन/ईमेल काउंसलिंग प्रदान करता हैpatientsengage.com।
इसके अलावा विभिन्न गैर-सरकारी संस्थाएँ भी सहायता देती हैं: जैसे AASRA (सुसाइड प्रिवेंशन, फोन 9820466726) और SNEHA (हेल्पलाइन 044-24640050, चेन्नई), Vandrevala फाउंडेशन (+91-9999666555) इत्यादि। प्रदेश स्तर पर NIMHANS और अन्य संस्थानों द्वारा संचालित टेलीकाउंसलिंग सेवाएँ भी चल रही हैं। इन संसाधनों के माध्यम से आप मानसिक समस्याओं के संकेतों पर तुरंत सहायता ले सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मिथक और सच्चाइयाँ
मानसिक स्वास्थ्य के बारे में कई भ्रांतियाँ (मिथक) प्रचलित हैं, जिन्हें नकारना आवश्यक है। उदाहरणतः अक्सर कहा जाता है कि “मानसिक बीमारी कमजोरी की निशानी है” या “ये लोग ध्यान आकर्षित करने के लिए नाटक करते हैं”medanta.orghapday.app। यह धारणा गलत है: मानसिक विकार आनुवंशिक, जैविक और पर्यावरणीय कारणों से होते हैं, व्यक्तिगत दुर्बलता से नहींmedanta.orghapday.app। एक अन्य मिथक है कि “मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति आमतौर पर हिंसक होते हैं” – लेकिन शोध दिखाता है कि मानसिक रोगी अधिकांशतः अहिंसक होते हैं और वास्तव में हिंसा के शिकार होने की आशंका अधिक होती हैhapday.app।
कुछ लोग सोचते हैं कि “मौखिक रूप से आत्महत्या की चर्चा करना खतरनाक है” – यह भी मिथक है; खुलकर बातचीत करने से ही आत्मघाती विचारों वाले लोगों को मदद मिलती है और जीवन बच सकता हैhapday.app। यह भी गलत धारणा है कि “बिना इलाज ये ठीक हो जाएगा” या “थेरेपी/सेल्फ-हेल्प काम नहीं करते” – मनोचिकित्सा (जैसे CBT) से अवसाद और चिंता जैसे विकारों में सुधार होता हैhapday.app, मगर इसके लिए समय और निरंतरता चाहिएhapday.app। सही उपचार से कई लोग महत्वपूर्ण सुधार या पूर्ण स्वस्थता प्राप्त कर लेते हैंhapday.app।
ये मिथक दूर कर देने पर मानसिक स्वास्थ्य को वास्तविकता के रूप में समझा जा सकता है। मानसिक रोग किसी का अक्षम्य दोष नहीं बल्कि इलाज योग्य चिकित्सा स्थिति हैhapday.apphapday.app। सही जानकारी और सहानुभूति से हम मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर कलंक मिटा सकते हैं और जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
स्रोत: ऊपर दी गई सभी जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन, शोध एवं स्वास्थ्य संस्थानों से संकलित है