Complete अनुच्छेद




संविधान के कुछ महत्वपूर्ण अनुच्छेद


1.       अनुच्छेद 1– यह घोषणा करता है की भारत ‘राज्यों का संघ’ है |

2.       अनुच्छेद 2 –नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना का प्रावधान |
3.       अनुच्छेद 3 –संसद विधि द्वारा नए राज्य बना सकती है तथा पहले से अवस्थित राज्ये के छेत्रो, सीमाओ एवं नामों में परीवर्तन कर सकती है |
4.       अनुच्छेद 5 –संविधान के प्रारंभ होने के समय भारत में रहने वाले वें सभी व्यक्ति यहाँ के नागरिक होंगे, जिनका जन्म भारत में हुआ हो, जिनके माता पिता भारत के नागरिक हो या संविधान के प्रारंभ के समय भारत में रहे हों |
5.       अनुच्छेद 53 –संघ की कार्यपालिका संबंधी शक्ति राष्ट्रपति में निहित रहेगी |
6.       अनुच्छेद 64 –उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन अध्यक्ष होगा |
7.       अनुच्छेद 74 –एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसके शीर्ष पर प्रधानमंत्री रहेगा, जिसकी सहायता एवं सुझाव के आधार पर राष्ट्रपति अपने कार्य संपन्न करेगा | राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद के लिए किसी सलाह के पुनर्विचार को आवश्यक समझ सकता है, पर पुनर्विचार के पश्चात् दी गयी सलाह के अनुसार वह कार्य करेगा | इसके सम्बंधित किसी विवाद की परीछा किसी न्यायालय में नहीं की जाएगी | 
8.       अनुच्छेद 76 – राष्ट्रपति द्वारा महान्यायवादी की नियुक्ति की जाएगी |
9.       अनुच्छेद 78 –प्रधानमंत्री कायह कर्तव्य होगा की वह देश के प्रशासनिक एवं विधायी मामलों तथा मंत्रिपरिषद के निर्णयों के सम्बन्ध में राष्ट्रपति को सूचना दे, यदि राष्ट्रपति इस प्रकार की सूचना प्राप्त करना आवश्यक समझे |
10.   अनुच्छेद 86 –इसके अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा ससंद को संबोधित करने तथा सन्देश भेजने के अधिकार का उल्लेख है |
11.   अनुच्छेद 89 –राज्य सभा के सभापति एवं उपसभापति |
12.   अनुच्छेद 108– यदि किसी विधयेक के सम्बन्ध में दोनों सदनों में गतिरोध उत्पन्न हो गया हो तो सयुंक्त अधिवेशन का प्रावधान है |
13.   अनुच्छेद 110–धन विधयक को इसमें परिभाषित किया गया है |
14.   अनुच्छेद 111–ससंद के दोनो सदनों द्वारा पारित विधयक राष्ट्रपति के पास जाता है | राष्ट्रपति उस विधयक को सम्मति प्रदान कर सकता है या अस्वीकृत कर सकता है | वह सन्देश के साथ या बिना सन्देश के ससंद को उस पर पुनर्विचार के लिए भेज सकता है,पर यदि दुबारा विधयक को संसद द्वारा राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है तो वह इसे अस्वीकृत नहीं करेगा |
15.   अनुच्छेद 112– प्रत्येक वित्तीय वर्ष हेतु राष्ट्रपति द्वारा ससंद के समछ बजट पेश किया जायेगा |
16.   अनुच्छेद 123 –ससंद के अवकाश में राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने का अधिकार |
17.   अनुच्छेद 124 -इसके अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय के गठन कावर्णन है |
18.   अनुच्छेद 129- सर्वोच्च न्यायालय एक अभिलेख न्यायालय है |
19.   अनुच्छेद 148 –नियत्रक एवं महालेख परिछ्क की की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी |
20.   अनुच्छेद 163 –राज्यपाल के कार्यो में सहायता एवं सुझाव देने के लिए राज्यों में एक मंत्रिपरिषद एवं इसके शीर्ष पर मुख्यमंत्री होगा, पर राज्यपाल के स्वविवेक सम्बन्धी कार्यो में वह मंत्रिपरिषद के सुझाव लेने के लिए बाध्य नही होगा |
21.   अनुच्छेद 169 –राज्यों में विधान परिषदों की रचना या उनकी समाप्ति विधानसभा द्वारा बहुमत से पारित प्रस्ताव तथा संसद द्वारा इसकी स्वीकृत से सम्भव है |
22.   अनुच्छेद 200 –राज्यों की विधायक द्वारा पारित विधयक राज्यपाल के समछ प्रस्तुत किया जायेगा | वह इस पर अपनी सम्मति दे सकता है या इसे अस्वीकृत कर सकता है | वह इस विधयक को सन्देश के साथ या बिना सन्देश के पुनर्विचार हेतु विधायिका को वापस भेज सकता है, पर पुनर्विचार के बाद दुबारा विधयक आ जाने पर वह इसे अस्वीकृत नहीं कर सकता | इसके अतिरिक्त वह विधयक को राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेज सकता है |
23.   अनुच्छेद 213 –राज्य विधायिका के सत्र में नही रहने पर राज्य अध्य्देश जारी कर सकता है |
24.   अनुच्छेद 214 –सभी राज्यों के लिए उच्च न्यायालय की व्यवस्था होगी |
25.   अनुच्छेद 226 –मूल अधिकारों के प्रवर्तन के लिए उच्च न्यायालय को लेख जारी करने की शक्तिया |
26.   अनुच्छेद 233 –जिला न्यायधिशो की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा उच्च न्यायालय के परामर्श से की जाएगी |
27.   अनुच्छेद 235 –उच्च न्यायालय का नियत्रण अधीनस्थ न्यायालयों पर रहेगा |
28.   अनुच्छेद 239 –केन्द्रशासित प्रदेशो का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा होगा | वह यदि उचित समझे तो बगल के किसी राज्य के राज्यपाल को इसके प्रशासन का दायित्व सौप सकता है या एक प्रशासक की नियुक्ति कर सकता है |
29.   अनुच्छेद 243 –इसमे पंचायत एवं नगरपालिका के गठन, संरचना, आरक्षण, शक्तिया, प्राधिकार एवं उत्तरदायीत्व से सम्बंधित प्रावधान दिया गया है |
30.   अनुच्छेद 245 –संसद सम्पुर्ण देश या इसके किसी हिस्से के लिए तथा राज्य विधानपालिका अपने राज्य या इसके किसी हिस्से के लिए कानून बना सकती है |
31.   अनुच्छेद 248 –विधि निर्माण संबधी अवशिष्ट शक्तिया संसद में निहित है |
32.   अनुच्छेद 249 –राज्यसभा विशेष बहुमत द्वारा राज्य सूची के किसी विषय पर लोकसभा को एक वर्ष के लिए कानून बनाने के लिए अधिकृत कर सकती है, यदि वह इसे राष्ट्रहित में आवश्यक समझे |
33.   अनुच्छेद 262 –अंतरराज्यीय नदियों या नदी-घाटियों के जल के वितरण एवं नियन्त्रण से सम्बंधित विवादों के लिए संसद विधि द्वारा निर्णय कर सकती है |
34.   अनुच्छेद 263 –केंद्र-राज्य संबंधो में विवादों का समाधान करने एवं परस्पर सहयोग के छेत्रो के विकास के उद्देश्य से राष्ट्रपति एक अंतरराज्यीयपरिषद् की स्थापना कर सकता है |
35.   अनुच्छेद 266 –भारत की संचित निधि, जिसमे सरकार की सभी मौद्रिक अविष्टियां एकत्र रहेगी, विधि-सम्मत प्रक्रिया के बिना इससे कोई भी राशी नहीं निकली जा सकती है |
36.   अनुच्छेद 267 –संसद विधि द्वार एक आकस्मिक निधि स्थापित कर सकती है, जिसमे आकस्मात उतपन्न परिस्थितियों के लिए राशी एकत्र की जाएगी |
37.   अनुच्छेद 275 –केंद्र द्वारा राज्यों को सहायक अनुदान दिए जाने का प्रावधान |
38.   अनुच्छेद 280 –राष्ट्रपति हर पाचवें वर्ष एक वित्त आयोग की स्थापना करेगा, जिसमे अध्यछ के अतिरिक्त चार अन्य सदस्य होंगें तथा जो राष्ट्रपति के पास केंद्र एवं राज्यों के बीच करों के वितरण के सम्बन्ध में अनुशंसा करेगा |
39.   अनुच्छेद 300 –राज्य किसी भी व्यक्ति को उसकी संपति से वंचित नहीं करेगा | पहले यह प्रावधान मूल अधिकारों के अंतर्गत था, पर संविधान के 44वें संसोधन, 1978 द्वारा इसे अनुच्छेद 300 (क) में एक सामान्य वैधानिक (क़ानूनी) अधिकार के रूप में अवस्थित किया गया |
40.   अनुच्छेद 312 –राज्य सभा विशेष बहुमत द्वारा नयी अखिल भारतीय सेवाओं की स्थापना की अनुशंसा कर सकती है |
41.   अनुच्छेद 315 –संघ एवं राज्यों के लिए एक लोक सेवा आयोग की स्थापना की जाएगी |
42.   अनुच्छेद 324 –चुनावो के पर्यवेछ्ण,निर्देशन एवं नियन्त्रण सम्बन्धी समस्त शक्तिया चुनाव आयोग में निहित रहेंगी |
43.   अनुच्छेद 326 –लोक सभा तथा विधान सभाओं में चुनाव वयस्क मताधिकारी के आधार पर होगा |
44.   अनुच्छेद 330 –लोकसभा में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए आरक्षण |
45.   अनुच्छेद 331 – आँग्ल-भारतीय समुदाय के लोगों का राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा में मनोनयन संभव है, यदि वह समझे कि उनका उचित प्रतिनिधित्व नहीं है |
46.   अनुच्छेद 332 –अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों का विधानसभाओ में आरक्षणका प्रावधान |
47.   अनुच्छेद 333 - आँग्ल-भारतीय समुदाय के लोगों काविधानसभाओ मेंमनोनयन |
48.   अनुच्छेद 335 -अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं पिछड़े वर्गों के लिए विभिन्न सेवाओ में पदों पर आरक्षण का प्रावधान |
49.   अनुच्छेद 338–राष्ट्रिय अनुसूचित जनजाति आयोग
50.   अनुच्छेद 338(क) -राष्ट्रिय अनुसूचित जनजाति आयोग |
51.   अनुच्छेद 340 –पिछड़े वर्गों के दशाओं के अन्वेषण के लिए आयोग की नियुक्ति |
52.   अनुच्छेद 343 –संघ की अधिकारिक भाषा देवनागरी लिपि में लिखी गयी “हिंदी” होगी |
53.   अनुच्छेद 347 –यदि किसी राज्य में पर्याप्त संख्या में लोग किसी भाषा को बोलते हो और उनकी आकांक्षा हो कि उनकी द्वारा बोली जाने वाली भाषा को मान्यता दी जाये तो इसकी अनुमति राष्ट्रपति दे सकता है |
54.   अनुच्छेद 351 –यह संघ का कर्तव्य होगा कि वह हिंदी भाषा का प्रसार एवं उत्थान करे ताकि वह भारत की मिश्रित संस्कृत के सभी अंगो के लिए अभिव्यक्ति का माध्यम बने |
55.   अनुच्छेद 352 –राष्ट्रपति द्वारा आपात स्थिति की घोषणा, यदि वह समझता हो कि भारत या उसके किसी भाग की सुरच्छा युद्ध, बाह्य आक्रमण या सैन्य विद्रोह के फलस्वरूप खतरे में है |
56.   अनुच्छेद 355 –इसमे बाह्य आक्रमण और आतंरिक अशांति से राज्य की रच्छा करने का संघ का कर्तव्य का उल्लेख है |
57.   अनुच्छेद 356 –यदि किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को यह रिपोर्ट दी जाये कि उस राज्य में सवैंधानिक तंत्र असफल हो गया है तो वहां राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है |
58.   अनुच्छेद 360 –यदि राष्ट्रपति यह समझता है कि भारत या इसके किसी भाग की वित्तीय स्थिरता एवं साख खतरे में है तो वह वित्तीय आपात स्थित की घोषणा कर सकता है |
59.   अनुच्छेद 365 –यदि कोई राज्य केंद्र द्वारा भेजे गये किसी कार्यकारी निर्देश का पालन करने में असफल रहता है तो राष्ट्रपति द्वारा यह समझ जाना विधि-सम्मत होगा की उस राज्य में संविधान तंत्र के अनुरूप प्रशासन चलने की स्थित नहीं है और वहा राष्ट्रपति शासन लागु किया जा सकता है |
60.   अनुच्छेद 368 –संसद को संविधान के किसी भी भाग का संशोधन करने का अधिकार है |
61.   अनुच्छेद 370 –इसके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति का वरणन है |
62.   अनुच्छेद 371 –कुछ राज्यों के विशेष छेत्रो के विकास के लिए राष्ट्रपति बोर्ड स्थापित कर सकता है, जैसे – महाराष्ट्रा, गुजरात, नागालैंड, मणिपुर इत्यादि |
63.   अनुच्छेद 394क –राष्ट्रपति अपने अधिकार के अन्तरगत इस संविधान का हिंदी भाषा में अनुवाद कराएगा |
64.   अनुच्छेद 395 –भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947, भारत सरकार अधिनियम, 1953 तथा इनके अन्य पूरक अधिनियम को जिसमे प्रिवी कोंसिल छेत्राधिकारी अधिनियम शामिल नहीं है यहाँ रद्द किया जाता है |


Previous Post Next Post