🕉️ गणेश जी की पूजा सबसे पहले क्यों की जाती है? | पूरी पौराणिक कथा By ganesh prajapati


हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य—जैसे विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार, परीक्षा, पूजा या हवन—भगवान गणेश की पूजा से ही आरंभ किया जाता है।
उन्हें विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य कहा जाता है।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गणेश जी की पूजा सबसे पहले क्यों की जाती है?
आइए जानते हैं इसके पीछे की पूरी पौराणिक कथा।


🌸 गणेश जी का जन्म

माता पार्वती ने अपने शरीर के उबटन से एक सुंदर बालक की रचना की और उसमें प्राण फूंके। उस बालक का नाम रखा गणेश
माता पार्वती ने गणेश को द्वारपाल बनाया और आदेश दिया कि जब तक वे स्नान करें, कोई भी अंदर न आए।

कुछ समय बाद भगवान शिव वहाँ पहुँचे। गणेश ने उन्हें रोक दिया। इससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से गणेश जी का सिर काट दिया।

जब माता पार्वती को यह ज्ञात हुआ, वे अत्यंत दुःखी और क्रोधित हो गईं। तब भगवान शिव ने हाथी का सिर लाकर गणेश जी को पुनर्जीवित किया और उन्हें अद्वितीय शक्तियाँ प्रदान कीं।

🏆 प्रथम पूजा का निर्णय

एक बार देवताओं में यह विवाद हुआ कि सभी देवताओं में सबसे पहले किसकी पूजा की जानी चाहिए?
इसका निर्णय करने के लिए भगवान शिव ने एक प्रतियोगिता रखी।

📜 प्रतियोगिता की शर्त

जो देवता पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करके सबसे पहले लौटेगा, वही प्रथम पूज्य कहलाएगा।

🚀 कार्तिकेय और गणेश की प्रतियोगिता

  • कार्तिकेय जी अपने वाहन मोर पर सवार होकर तुरंत पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल पड़े।

  • गणेश जी ने अपनी शारीरिक कमजोरी को समझते हुए बुद्धि का प्रयोग किया।

उन्होंने अपने माता-पिता भगवान शिव और माता पार्वती की तीन बार परिक्रमा की और कहा:

“मेरे लिए मेरे माता-पिता ही संपूर्ण ब्रह्मांड हैं।”

🌍 बुद्धि की जीत

जब कार्तिकेय जी पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करके लौटे, तब तक गणेश जी प्रतियोगिता जीत चुके थे।
भगवान शिव गणेश जी की बुद्धिमत्ता से अत्यंत प्रसन्न हुए।

🏅 भगवान शिव का वरदान

“आज से किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश की पूजा अनिवार्य होगी।”

इसी वरदान के कारण गणेश जी को प्रथम पूज्य कहा जाता है।

🐘 गणेश जी की पूजा सबसे पहले क्यों?

गणेश जी की पूजा सबसे पहले इसलिए की जाती है क्योंकि:

  • वे विघ्नों का नाश करते हैं

  • वे बुद्धि और विवेक के देवता हैं

  • हर कार्य की सफल शुरुआत उनके आशीर्वाद से होती है

  • वे शुभता और सफलता के प्रतीक हैं

🌼 कथा से मिलने वाली सीख

इस कथा से हमें कई महत्वपूर्ण शिक्षाएँ मिलती हैं:

  • 🧠 बुद्धि, बल से अधिक शक्तिशाली होती है

  • 👪 माता-पिता का सम्मान सबसे बड़ा धर्म है

  • 🙏 विनम्रता और विवेक सफलता की कुंजी हैं

✨ निष्कर्ष

भगवान गणेश केवल एक देवता नहीं, बल्कि बुद्धि, विवेक और शुभ आरंभ के प्रतीक हैं।
इसीलिए हर पूजा, हवन और शुभ कार्य से पहले कहा जाता है—

“ॐ गण गणपतये नमः” 


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