ब्रम्हाण्ड के बारे में हमारा बदलता दृष्टि कोण
प्रारम्भ में पृथ्वी को सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड का केंद्र माना जाता था जिसकी प्रक्रिमा सभी आकाशीय पिंड विभिन्न कक्षाओं में करते थे इसे (Geocentric Theory ) कहा जाता है
इसका प्रतिपादन मिश्र यूनानी खगोल वैज्ञानिक क्लाडियस टॉलमी ने 140 ई ० में किया था इसके बाद पोलैंड के खगोलशास्त्री निकोलस कापरनिकस सन 1543 ई ० में यह दर्शाया की सूर्य ब्रम्हांड के केंद्र पर है तथा ग्रह इसकी प्रक्रिमा करते है अतः सूर्य विश्व का केंद्र माना गया जिसे ( Heliocentric Theory ) कहा गया 16 वी शताब्दी में जोहानेस कैपलर ने ग्रहीय कक्षाओं के नियमो की खोज की परन्तु इसमें भी सूर्य को ब्रम्हाण्ड केंद्र माना गया
20 वी शताब्दी के आरम्भ में जाकर हमारी मन्दाकिनी ( Galaxy ) की तस्वीर स्पष्ट हुआ तबसे सूर्य को ब्रम्हाण्ड के केंद्र पर होने का गौरव समाप्त हो गया
नोट - कैपलर ने सिद्ध किया की सूर्य के चारो और नक्षत्र का दीर्घ - वृताकार है