प्रस्तावना
राजनीति किसी भी समाज और राष्ट्र की शासन व्यवस्था की आधारशिला होती है। यह वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से सत्ता का वितरण, निर्णय-निर्माण, संसाधनों का उपयोग और जनता के हितों का संरक्षण सुनिश्चित किया जाता है। राजनीति केवल सत्ता प्राप्ति का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज को दिशा देने, कानून बनाने और विकास के लक्ष्य तय करने का माध्यम भी है। एक स्वस्थ राजनीति राष्ट्र की स्थिरता, लोकतंत्र की मजबूती और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करती है।
राजनीति का अर्थ और परिभाषा
राजनीति शब्द ग्रीक भाषा के Polis से लिया गया है, जिसका अर्थ है—नगर-राज्य। राजनीति का आशय शासन करने की कला और विज्ञान से है। अरस्तू ने राजनीति को “राज्य का अध्ययन” कहा, जबकि आधुनिक विचारकों के अनुसार राजनीति सत्ता, प्रभाव और निर्णयों की प्रक्रिया है। सरल शब्दों में, राजनीति वह व्यवस्था है जिसके माध्यम से समाज सामूहिक निर्णय लेता है।
राजनीति के प्रमुख उद्देश्य
राजनीति के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
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सत्ता का संतुलन – शक्ति का दुरुपयोग रोकना
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सुशासन – पारदर्शी और उत्तरदायी प्रशासन
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सामाजिक न्याय – समानता और अवसरों की उपलब्धता
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राष्ट्रीय विकास – आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उन्नति
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लोकतंत्र की रक्षा – नागरिक अधिकारों की सुरक्षा
राजनीति और शासन व्यवस्था
राजनीति शासन व्यवस्था को आकार देती है। शासन के प्रमुख प्रकार हैं—
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लोकतंत्र (Democracy)
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राजतंत्र (Monarchy)
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तानाशाही (Dictatorship)
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सैन्य शासन (Military Rule)
आज के आधुनिक विश्व में लोकतंत्र को सर्वोत्तम शासन प्रणाली माना जाता है क्योंकि इसमें जनता की भागीदारी और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
भारतीय राजनीति की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत में राजनीति की जड़ें अत्यंत प्राचीन हैं। वैदिक काल में सभा और समिति जैसी संस्थाएँ थीं। मौर्य और गुप्त काल में संगठित प्रशासन और कानून व्यवस्था विकसित हुई। मध्यकाल में सल्तनत और मुग़ल शासन ने केंद्रीकृत प्रशासन दिया।
ब्रिटिश काल में आधुनिक भारतीय राजनीति का उदय हुआ। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, स्वतंत्रता आंदोलन, और जन आंदोलनों ने लोकतांत्रिक चेतना को जन्म दिया।
स्वतंत्र भारत की राजनीति
15 अगस्त 1947 के बाद भारत ने लोकतांत्रिक मार्ग अपनाया। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ, जिसने भारत को संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया।
भारतीय संविधान और राजनीति
भारतीय संविधान राजनीति का आधार स्तंभ है। इसमें—
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मौलिक अधिकार
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नीति निदेशक तत्व
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मौलिक कर्तव्य
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संघीय ढांचा
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स्वतंत्र न्यायपालिका
संविधान राजनीति को अनुशासित और संतुलित बनाता है।
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था
भारत में संसदीय लोकतंत्र है।
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राष्ट्रपति: राष्ट्राध्यक्ष
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प्रधानमंत्री: सरकार का प्रमुख
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संसद: लोकसभा और राज्यसभा
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न्यायपालिका: सर्वोच्च न्यायालय
यह व्यवस्था सत्ता के विकेंद्रीकरण और संतुलन पर आधारित है।
राजनीतिक दलों की भूमिका
राजनीतिक दल लोकतंत्र की रीढ़ होते हैं। भारत में प्रमुख दल हैं—
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राष्ट्रीय दल
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राज्य स्तरीय दल
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क्षेत्रीय दल
राजनीतिक दल जनता और सरकार के बीच सेतु का कार्य करते हैं, नीतियाँ बनाते हैं और सरकार का गठन करते हैं।
चुनाव और लोकतंत्र
चुनाव लोकतंत्र की आत्मा हैं। भारत में—
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सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार
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स्वतंत्र चुनाव आयोग
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EVM और VVPAT प्रणाली
चुनाव जनता को सरकार चुनने और बदलने का अधिकार देते हैं।
राजनीति और जनता
राजनीति तभी सफल होती है जब जनता जागरूक और सक्रिय हो। नागरिकों की भूमिका—
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मतदान
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जन आंदोलन
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सामाजिक मीडिया पर जागरूकता
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लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन
जागरूक नागरिक राजनीति को स्वस्थ बनाते हैं।
राजनीति और मीडिया
मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। मीडिया—
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सरकार की जवाबदेही तय करता है
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जनमत बनाता है
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राजनीतिक भ्रष्टाचार उजागर करता है
हालाँकि, फेक न्यूज़ और पक्षपात मीडिया की बड़ी चुनौती है।
राजनीति और भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार राजनीति की सबसे बड़ी समस्या है। इसके कारण—
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नैतिक मूल्यों की कमी
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सत्ता का केंद्रीकरण
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पारदर्शिता का अभाव
भ्रष्टाचार लोकतंत्र को कमजोर करता है और जनता का विश्वास घटाता है।
राजनीति में युवाओं की भूमिका
भारत की जनसंख्या युवा है। युवा—
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नई सोच
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तकनीकी दक्षता
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सामाजिक परिवर्तन
युवाओं की सक्रिय भागीदारी राजनीति को भविष्य-उन्मुख बनाती है।
राजनीति और वैश्वीकरण
आज राजनीति केवल राष्ट्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक हो चुकी है।
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अंतरराष्ट्रीय संगठन
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कूटनीति
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वैश्विक राजनीति
भारत वैश्विक मंचों पर एक प्रभावशाली राजनीतिक शक्ति बनकर उभरा है।
राजनीति की चुनौतियाँ
आधुनिक राजनीति के सामने कई चुनौतियाँ हैं—
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जातिवाद और धर्मवाद
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धनबल और बाहुबल
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फेक न्यूज़
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राजनीतिक ध्रुवीकरण
इनसे निपटना लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।
राजनीति का भविष्य
राजनीति का भविष्य—
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पारदर्शिता
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डिजिटल लोकतंत्र
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ई-गवर्नेंस
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नागरिक भागीदारी
तकनीक और नैतिकता राजनीति को बेहतर बना सकती है।
उपसंहार
राजनीति समाज और राष्ट्र के विकास की दिशा तय करती है। यह केवल सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि जनकल्याण का माध्यम है। एक सशक्त लोकतंत्र के लिए स्वच्छ राजनीति, जागरूक नागरिक और मजबूत संस्थाएँ आवश्यक हैं। यदि राजनीति नैतिक मूल्यों और संवैधानिक आदर्शों पर आधारित हो, तो यह राष्ट्र को समृद्ध, स्थिर और शक्तिशाली बना सकती है।
