पीयूष ग्रंथि से Related प्रत्येक SSC के exam में 10 प्रश्न पूछे जाते है
पीयूष ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन एवं उनके कार्य
- STH हार्मोन (Somatotropic hormone) : यह शरीर की वृद्धि, विशेषतया हड्डियों की वृद्धि को नियंत्रण करती है । STH की अधिकता से भीमकायत्व (Gigantism) अथवा एक्रोमिगली (Acromegaly) विकार उत्पन्न हो जाते हैं, जिसमें मनुष्य की लम्बाई सामान्य से बहुत अधिक बढ़ जाती है ।
- नोट - STH की कमी सेमनुष्य में बौनापन (Dwarfism) होता है।
- TSH हार्मोन (Thyroid Stimulating Hormone) : यह थायरॉयड ग्रंथि को हार्मोन स्रावित करने के लिए प्रेरित करता है।
- ACTH हार्मोन (Adrenocorticotropic Hormone): एड्रीनल कॉर्टेक्स के स्राव को नियंत्रित करता है।
- GTH हार्मोन (Gonadotropic Hormone): यह जनन अंगों के कार्यों का नियंत्रण करता है। यह दो प्रकार का है
FSH हार्मोन (Follicle Stimulating Hormone):
यह वृषण की शुक्रजनन नलिकाओं में शुक्राणु जनन में सहायता करता है।यह अंडाशय में फॉलिकिल की वृद्धि में मदद करता है।
LH हार्मोन (Luteinizing Hormone) :
अंतराल कोशिका उत्तेजक हार्मोन—नर में इसके अभाव से अंतराली कोशिकाओं में टेस्टोस्टीरोन हार्मोन एवं मादा में एस्ट्रोजेन (Estrogen) हार्मोन नावित होता है।
- LTH हार्मोन (दुग्धजनक हार्मोन or Lactogenic Hormone):इसका मुख्य कार्य है, शिशु के लिए स्तनों में दुग्ध स्राव उत्पन्न करना।
ADH हार्मोन (Antidiuretic Hormone):
इसके कारण छोटी-छोटी रक्त धमनियों का संकीर्णन होता है एवं रक्तदाब बढ़ जाता है।यह शरीर में जल-संतुलन को बनाये रखने में भी सहायक होता है।
अवटु ग्रंथि(Thyroid gland):-
यह मनुष्य के गले में श्वास-नलीय ट्रेकिया के दोनों ओर लैरिक्स के नीचे स्थित रहती है। इससे निकलने वाला हार्मोन थाइरॉक्सिन (Thyroxin) एवं ट्रायोडोथाइरोनिन (Triodothyronine) है, इसमें आयोडीन अधिक मात्रा में रहता है।
थाइरॉक्सिन (Thyroxin) के कार्य:
(a) यह कोशिकीय श्वसन की गति को तीव्र करता है।
(b) यह शरीर की सामान्य वृद्धि विशेषतः हड्डियों, बाल इत्यादि के विकास के लिए अनिवार्य है।जनन-अंगों के सामान्य कार्य इन्हीं की सक्रियता पर आधारित रहते हैं।
थाइरॉक्सिन की कमी से होने वाला रोग:(Disease due to thyroxin)
(a) जड़मानवता (Cretinism): यह रोग बच्चों में होता है। इसमें बच्चों का मानसिक एवं शारीरिक विकास रुक जाता है।
(b) मिक्सिडमा : यौवनावस्था में होने वाले इस में होने वाले इस रोग में उपापचय भली - भांति नहीं हो पाता , जिससे ह्रदय - स्पंदन तथा रक्त चाप काम हो जाता है
(c) हाइपोथायराइडिज्म ( Hypothyroidism) - लम्बे समय तक इस हार्मोन की कमी के कारण सामान्य जनन - कार्य सम्भव नहीं हो पाता , कभी - कभी इस रोग के कारण मनुष्य गुंगा एवं बहरा हो जाता है