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- धातुओं का राजा सोना को कहा जाता है।
- पृथ्वी के केन्द्रीय भाग (core) में सबसे अधिक निकेल पाया जाताहै, दूसरे स्थान पर पाया जाने वाला धातु लोहा है।
- टंगस्टन का संकेत W होता है। [गलनांक लगभग 3500°C]
- टंगस्टन तंतु के उपचयन को रोकने के लिए बिजली के बल्ब सेहवा निकाल दी जाती है। जिरकोनियम धातु ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन दोनों में जलते हैं।
- बेडीले आइट जिरकोनियम का अयस्क है।
- न्यूट्रॉनों को अवशोषित करने के गुणों के कारण जिरकोनियम कैडमियम एवं बोरॉन का उपयोग नाभिकीय रिएक्टर में किया जाता है।
- बेराइल (Baryl) बेरीलियम धातु का मुख्य अयस्क है।
- फ्रांसियम एक रेडियोसक्रिय द्रव धातु है।
- स्टेनस सल्फाइड (Sns,)को मोसाइक गोल्ड (Mosaicgold)कहते हैं, इसका प्रयोग पेंट के रूप में किया जाता है।
- सोडियम धातु का संग्रहण मिट्टी के तेल में करना चाहिए।
- सोडियम का प्रयोग परावर्तक लैम्पों में किया जाता है जो सड़कों पर या पार्किंग में रोशनी के लिए लगाए जाते हैं।
- बिना बुझे चूने का रासायनिक नाम कैल्सियम ऑक्साइड है।
- शल्य क्रिया में पट्टियों के रूप में कैल्सियम सल्फेट का प्रयोग किया जाता है।
- प्लास्टर आफ पेरिस जिप्सम से बनता है।
- बेरियम हाइड्रॉक्साइड को बैराइटा वाटर कहते हैं।
- बेरियम सल्फेट (Barium sulphate) का उपयोग बेरियम मील के रूप में उदर के X-ray में होता है।
- बेसिक लेड कार्बोनेट को लाइट लेड कहा जाता है। इसे सफेदा के नाम से भी जाना जाता है।
- लेड टेटाइथाइल का उपयोग अपस्फोटन रोकने में किया जाता है।
- पाइप पीने के जल को ले जाने के लिए उपयुक्त नहीं होते क्योंकि ये वायु मिश्रित जल के साथ घुल कर विषैले लेड हाइड्रॉक्साइड उत्पन्न करते हैं।
- विद्यत उपकरणों में प्रयुक्त होने वाला फ्यूज तार लेड और टिन से बना मिश्रधातु होता है।
- यरेनियम को आशा धातु कहा जाता है।
- भारत में यूरेनियम का अधिक उत्पादन झारखंड में होता है।
- यूरेनियम का समस्थानिक U238 रेडियो सक्रियता प्रदर्शित नहीं करता है।
- रेनियम कार्बाइड का उपयोग हैबर विधि में अमोनिया के उत्पादन में उप्रेरक के रूप में किया जाता है
- यूरेनियम का उपयोग परमाणु ऊर्जा के उत्पादन में होता है।
- यरेनियम के नाइट्रेट एवं एसीटेट का उपयोग फोटोग्राफी में होता है।
- यरेनियम धातु का निष्कर्षण मुख्यतः उसके अयस्क पिंचब्लैंड से किया जाता है।
- प्लटोनियम एक भारी रेडियोसक्रिय धातु है ।
- यह एक्टीनाइड श्रेणी का सदस्य है। इसका उपयोग परमाणु बम बनाने में होता है। नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम इसी से बने हुए थे।
- हरा कसीस (Green vitriol) फेरस सल्फेट (FeSO,7H,O) को कहते हैं। इसे रोमन विट्रोल (Roman vitriol) भी कहते हैं।
- उजला थोथा (White vitriol) जिंक सल्फेट (ZnSO, TH,O)को कहते हैं।
- नीला थोथा (Blue Vitriol) कॉपर सल्फेट (Cuso 5H,O) को कहते है। इसे तूतिया भी कहा जाता है।
- लाल थोथा (Red vitriol) कोबाल्ट सल्फेट (CoSo. - TH,O) को कहते हैं।
- जिंक फॉस्फाइड का उपयोग कृतकनाशी, चूहा मारने वाले दवा के रूप में किया जाता है।
- जिंक फॉस्फेट रंगने का काम आने वाला तीखा पदार्थ है।
- क्विक सिल्वर, पारा (Hg) को कहा जाता है। यह सदा किसी भी अमलगम का एक घटक होता है
- मोनाजाइट बालू में थोरियम पाया जाता है।
- मोबाइल फोन के बैटरियों में मुख्यतः लीथियम धातु का प्रयोग किया जाता है।
- प्याज लहसुन में गंध पोटैशियम की उपस्थिति के कारण होती है।
- पोटैशियम ब्रोमाइड का प्रयोग फोटोग्राफी में, मोनो पोटैशियम टार्टरेट का प्रयोग बेकरी में, पोटैशियम सल्फेट का प्रयोग उर्वरक के रूप में व पोटैशियम नाइट्रेट का उपयोग बारूद बनाने में किया जाता है।
- मोती की रासायनिक संरचना है—कैल्सियम कार्बोनेट - माणिक्य एवं नीलम एल्युमिनियम के ऑक्साइड (AI,O.) है। लेकिन माणिक्य का लाल रंग क्रोमियम ऑक्साइड के कारण होता है।
- ऑडियो एवं वीडियो टेप पर आयरन ऑक्साइड का लेप रहता है।
- लेड पेंसिल में लेड का प्रतिशत शून्य होता है।
- बोरेक्स या सुहागा का रासायनिक नाम सोडियम टेट्राबोरेट (NaIBO (OH) 8H,O)है। इसमें सूजन को कम करने वाले, कसैले, रोगाणुरोधी, बलगम निकालने वाले गुण पाए जाते हैं।
- प्लूटोनियम नामक तत्व सबसे पहले कृत्रिम रूप से उत्पादित किया गया। इसकी खोज से संबंधित वैज्ञानिक हैं-ग्लेन टी.सीबोर्ग, आर्थर वाहल, जोसेफ डब्लू केनेडी एवं इडयिन मैकमिलन ।
- कैल्सियम ऑक्साइड का प्रयोग शुष्क के रूप में होता है।
- परमाण्वीय घड़ियों में एक टाइमकीपर के रूप में सीजियम का प्रयोग किया जाता है।
- एल्युमिनियम उभयधर्मी ऑक्साइड बना सकता है। अधातुएँ -
- आधुनिक आवर्त सारणी के अनुसार 22 अधात्वीय तत्व (Non Metallic) है, जिनमें 11 गैसें-एक द्रव है तथा शेष 10 ठोस हैं।
- (द्रव अवस्था स्थित अधातु ब्रोमीन) - अधातुएँ सामान्यतः ऊष्मा एवं विद्युत् की कुचालक होती है
- अपवाद-ग्रेफाइट। TSSIGT (Hydrogen): - हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक ज्ञात हैं प्रोटियम (H' या H),
- ड्यूटीरियम (Hया D) और ट्राइटियम (H या T) - ड्यूटीरियम के ऑक्साइड (D,O) को भारी जल कहते हैं।
- भारी जल की खोज 1932 ई. में यूरे और वाशबर्न ने की थी। साधारण जल के लगभग 7,000 भागों में 1 भाग भारी जल का होता है। भारी जल 3.8°C पर जमता है। भारी जल के उपयोग : जैसे - न्यूट्रॉन मंदक के रूप में, ड्यूटीरियम तथा ड्यूटीरियम के यौगिक बनाने में, ट्रेसर के रूप में, आयनिक व अन-आयनिक हाइड्रोजन में विभेद करने में।
- जो जल साबुन के साथ आसानी से झाग देता है, उसे मृदु जल (soft water) और जो जल साबुन के साथ कठिनाई से झाग देता है, उसे कठोर जल (Hard water) कहते हैं।
- जल की कठोरता दो प्रकार की होती है: 1. अस्थायी कठोरता (Temporary Hardness), 2. स्थायी कठोरता (Permanent Hardness)।
- अस्थायी कठोरता : जल की कठोरता यदि जल को उबालने से दूर हो जाती है, तो इस प्रकार की कठोरता अस्थायी कठोरता कहलाती है। जल की अस्थायी कठोरता उसमें कैल्सियम और मैग्नेशियम के बाइकार्बोनेट घुले रहने के कारण होती है। अस्थायी कठोरता जल में बुझा चूना अथवा दुधिया चूना डालने से दूर हो जाती है।
- स्थायी कठोरता : जल की कठोरता यदि जल को उबालने से दूर नहीं होती है, तो इस प्रकार की कठोरता स्थायी कठोरता कहलाती है। जल की स्थायी कठोरता उसमें कैल्सियम और मैग्नेशियम के सल्फेट, क्लोराइड, नाइट्रेट आदि लवणों के घुले रहने के कारण होती है। जल में सोडियम कार्बोनेट डालकर उबालने से स्थायी एवं अस्थायी दोनों प्रकार की कठोरता दूर हो जाती है।
- जल की स्थायी कठोरता दूर करने की मुख्य विधि परम्यूटिट विधि है। (परम्यूटिट सोडियम जीओलाईट को कहते हैं।) पानी की स्थाई कठोरता दूर करने के लिए पोटैशियम क्लोराइड सर्वाधिक उपयुक्त है।
- पुराने तैल चित्रों के रंगों को फिर से उभारने के लिए व बालों के ब्लीचिंग करने में हाइड्रोजन परऑक्साइड का उपयोग किया जाता है।
- (Oxygen):भू-पटल की रचना सामग्री में सबसे अधिक ऑक्सीजन (46.60%) होती है। वायुमंडल में भी आयतन के अनुसार ऑक्सीजन दूसरे स्थान पर है।
- वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा (20.93%) है।
- ऑक्सीजन के तीन समस्थानिक होते हैं: .016 (99.76%), O (0.037%) तथा 018 (0.2045) ओजोन (O): यह ऑक्सीजन का एक अपरूप है।
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