भारत में बेरोज़गारी दर: 2011 से 2025 तक का विश्लेषण

 परिचय

भारत विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, लेकिन बेरोज़गारी (Unemployment) की समस्या लगातार चिंता का विषय रही है। हर साल लाखों युवा मज़दूरी, नौकरी और व्यवसाय की तलाश करते हैं, लेकिन अवसर सीमित होने की वजह से बेरोज़गारी दर में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है।


2011 से 2015: स्थिर लेकिन चिंता जारी

2011 में भारत की बेरोज़गारी दर लगभग 3.6% थी। उस समय आर्थिक विकास दर अच्छी थी और IT तथा सर्विस सेक्टर नौकरियों का बड़ा स्रोत थे।

  • 2012 में यह दर 3.5% रही।

  • 2013–2015 के बीच यह लगभग 3.4%–3.5% पर स्थिर रही।

👉 कुल मिलाकर इस दौर में बेरोज़गारी बहुत बड़ी समस्या नहीं थी, लेकिन युवाओं को “क्वालिटी जॉब्स” यानी अच्छे वेतन और सुरक्षित नौकरियाँ नहीं मिल पा रही थीं।


2016 से 2019: नोटबंदी और आर्थिक सुस्ती का असर

2016 में नोटबंदी और उसके बाद 2017 में GST लागू होने से छोटे उद्योग और मज़दूरी पर असर पड़ा।

  • 2016 में बेरोज़गारी दर 3.5% थी।

  • 2017–2018 में यह 5% के आस-पास पहुँच गई।

  • 2019 में बेरोज़गारी दर बढ़कर 5.3% तक दर्ज हुई।

👉 इस समय कई छोटे कारोबार बंद हुए और मज़दूर वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हुआ।


2020–2021: कोरोना महामारी का झटका

2020 में कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया की तरह भारत की अर्थव्यवस्था को भी झटका दिया।

  • लॉकडाउन के दौरान बेरोज़गारी दर अचानक 8% से 23% तक पहुँच गई।

  • 2021 में धीरे-धीरे सुधार हुआ लेकिन यह दर अब भी 7–8% रही।

👉 यह दौर भारत में अब तक की सबसे बड़ी बेरोज़गारी की मार साबित हुआ।


2022 से 2024: धीरे-धीरे सुधार

  • 2022 में बेरोज़गारी दर घटकर लगभग 7.5% रही।

  • 2023 में यह और घटकर 7% हो गई।

  • 2024 तक यह 6.8%–7% के बीच रही।

👉 सरकार की स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया और स्टार्टअप योजनाओं से कुछ सुधार हुआ, लेकिन जनसंख्या की तेज़ वृद्धि और शिक्षा–रोज़गार के बीच असंतुलन अब भी चुनौती बना हुआ है।


2025: वर्तमान स्थिति

2025 की शुरुआत तक बेरोज़गारी दर 7% के आसपास बनी हुई है। शहरी क्षेत्रों में IT, सर्विस और स्टार्टअप सेक्टर नौकरियों का मुख्य स्रोत हैं, लेकिन ग्रामीण भारत में अब भी कृषि पर अधिक निर्भरता और सीमित रोजगार अवसर की समस्या है।



बेरोज़गारी के मुख्य कारण

  1. जनसंख्या की तेज़ी से वृद्धि।

  2. शिक्षा और कौशल (Skill) का नौकरी की ज़रूरत से मेल न खाना।

  3. कृषि पर अधिक निर्भरता और उद्योगों में धीमी वृद्धि।

  4. तकनीकी विकास से पारंपरिक नौकरियों का खत्म होना।


समाधान की दिशा

  • कौशल विकास (Skill Development) पर ज़ोर।

  • स्टार्टअप और स्वरोज़गार को बढ़ावा।

  • गांवों में उद्योग और स्थानीय रोजगार सृजन।

  • नई तकनीक (AI, Robotics, Digital India) में युवाओं को प्रशिक्षित करना।


निष्कर्ष

2011 से 2025 तक भारत की बेरोज़गारी दर ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। जहाँ 2011–2015 में यह स्थिर रही, वहीं 2016 के बाद बढ़ी और 2020 में महामारी ने इसे ऐतिहासिक स्तर तक पहुँचा दिया। वर्तमान में (2025) यह लगभग 7% है। यदि सरकार और समाज मिलकर कौशल, शिक्षा और उद्योग पर ध्यान दें तो आने वाले समय में भारत बेरोज़गारी को कम करने में सफल हो सकता है।





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