What is boi diesel , How can manufacture it


धरती के भुगर्व से जो ईंधन या ऊर्जा निकलती है उसे जीवाश्म या fossil fuel कहते है  पेट्रोल और डीजल जीवाश्म का एक मुख्य उदाहरण है अगर हम बात करें की फॉसिल फ्यूल बनने में कितना समय लगता है तो यह प्रक्रिया लगभग हजारों साल या कई सदियां लग जाती हैं लेकिन इस लाखों और हजारों दिनों के प्रक्रियाा को कुछ दिनों और कुछ घंटों के साइंटिफिक प्रयोग से ईंधन में बदल दिया जाए तो इससे बनने वाले ईंधन को बायो फ्यूल कहा जाएगा अब चलिए बात करते हैंं की बायोफ्यूल कैसे बनता है


बायोफ्यूल बायोमास से बने  ज्वलनशील ईंधन होते हैं
 '"बायो मास जीवित जीवों या हाल ही में मरे हुए जीवों के जैव ईंधन होते है यानी कि हाल ही में पौधों और पदार्थो से बने ईंधन "
दरअसल बायोमास ऊर्जा का एक बहुत ही अच्छा स्रोत है जिसे सीधे जलाकर जैविक ईंधन में परिवर्तित किया जा सकता है तो चलिए जानते हैं कि बायो मास को कितने प्रकार से बायो इंधन में परिवर्तित किया जा सकता है बायोमास को तीन प्रकार से जैविक ईंधन में परिवर्तित किया जा सकता है जिसमें
1-उष्मीय विधि 
2-रासायनिक विधि 
3-जैव रासायनिक विधि शामिल है
बायोमास की संरचना कार्बनिक पदार्थ पानी और अकार्बनिक पदार्थ से मिलकर बना है 
आमतौर पर बायोफ्यूल तरल पदार्थ के रूप में प्रयोग किया जाता है इसका मुख्य उदाहरण हमारे घर में केरोसिन जो इमरजेंसी में काम में लाया जाता है डीजल पेट्रोल यह सभी बायोफ्यूल के उदाहरण है
जैविक ईंधन सभी प्रकार के फसल गोबर तथा मानव मल मूत्र से प्राप्त किया जा सकता है
जैविक ईंधन मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं जिसमें 
1-इथेनॉल 
2-बायोडीजल और बायोजेट होते हैं
यदि हम इथेनॉल की बात करें तो यह गाड़ियों में पेट्रोल की तरह प्रयोग में लाए जाते हैं  
 और बायोडीजल डीजल की तरह ही गैर परंपरागत फ्यूल है जो नवीनीकरण प्रक्रिया से प्राप्त किया जाता है  बायोडीजल का प्रयोग बड़ी-बड़ी गाड़ियों में ईंधन के रूप में किया जाता है वही बायो जेट का प्रयोग विमानों में किया जाता है 
जैविक ईंधन किसी भी प्रकार  के कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त किया जा सकता है जिसमें ज्यादातर पेड़ पौधे शामिल हैं 
अब बात करते हैं की बायोडीजल कैसे तैयार किया जाता है 
बॉयोडीजल को गन्ने की फसल से तैयार किया जा सकता है परंतु इसे शर्करा वाले फसल से भी तैयार किया जाता है इसके अलावा बायोडीजल वनस्पति तेल पशुओं के वसा और खाना पकाने वाले अपशिष्ट पदार्थों से बायोडीजल का निर्माण किया जा सकता है    
 इन सभी प्रकार के पदार्थों को बायोडीजल में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को ट्रांस इस्ट्रिकरण  कहा जाता है बायोडीजल को बनानेे के मेथेनॉल और सोडियम हाइड्रोक्साइड की आवश्यकता होती है 
बायोडीजल निम्न स्रोतों से बनाया जाता है जैसे
जेट्रोफा का पौधा 
केमलिना का फूल 
सोयाबीन तेल 
पाम आयल इत्यादि 
इसके अलावा भी बहुत से कार्बनिक पदार्थ है जिससे बायोडीजल बनाया जाता है  
मूंगफली का तेल 
पशुओं का वसा तथा शैवाल का तेल इत्यादि 
दुनिया मे सबसे ज्यादा आवश्यकता है तो ईंधन की इन सभी पदार्थों से  जैविक ईंधन बनाने के साथ-साथ कचड़ों से सीएनजी बनाने की प्रक्रिया चल रही है जिसे कंप्रेस नेचुरल गैस के नाम से भी जानते हैं  देश के यातायात व्यवस्था को पेट्रोल और डीजल से मुक्त कराने की प्रयास किया जा रहा है ताकि वातावरण में पॉल्यूशन की मात्रा कम हो वाहनों से निकलने वाले धूओ से मानव और जानवरों में भी बहुत से बीमारियां होती हैं जिसमें स्वसन प्रॉब्लम और चर्म रोग सम्मिलित है  
फिलहाल वर्तमान में भारत सीएनजी विदेशों से इंपोर्ट कर रहा है और बायोडीजल का प्रोडक्शन भारत में पूर्ण रूप से निर्भर करना चाहता है आपको यह बता दें की बायोडीजल का प्रयोग अमेरिका 2008 से ही कर रहा है 
 अब यदि बात करें की बायोफ्यूल को कितने भागों में वर्गीकरण किया गया है तो बायोफिल को अलग-अलग संस्थाओं द्वारा अलग-अलग वर्गों में बांटा गया है भारत में खाद्य और कृषि संगठन FAO ने बायो फ्यूल को 3 भागो में बाटा है
1- wood fuel - इसमे पेड़ो से बने क्यूल आतेे हैं जिसमें जंगली  और अन्य पेड़ शामिल है
2- एग्रो फ्यूल इसमें ऊर्जा युक्त फसलें आती हैं 
3-म्युनिसिपल प्रोडक्ट इसके अंतर्गत कूड़ा करकट तथा प्लास्टिक जैसे प्रोडक्ट आते हैं जीनसे बायोफ्यूल तैयार किया जाता है
बायो फ्यूल की अवधारणा उतना ही पुराना है जितना कार का निर्माण बीसवीं शताब्दी में जब हेनरी फोर्ड ने कार का निर्माण किया तो उनका विचार कार को इथेनॉल से चलाना था लेकिन संस्थाओं द्वारा धरती के भूगर्भ से पेट्रोलियम को प्राप्त करना और उसको आसानी से लोगों तक पहुंचाने से लोगों के मनसे बायोफ्यूल का विचार हट गया लेकिन वर्तमान समय में वातावरण और आर्थिक कंडीशन को देखते हुए बायोफ्यूल को बनाना अति आवश्यक हो गया है इसलिए दुनिया के सभी देश ईंधन के प्रयोग के लिए बायोफ्यूल को प्रयोग में ला रहे हैं 
आपको बताते चलें की अकेले जर्मनी में चार लाख हेक्टेयर के  एरिया में बायोडीजल तैयार करने के लिए सूरजमुखी के पौधे का खेती होता है

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