टैली भाग - 4

 Tally ERP-9 / Prime में group क्या होते है और इसके क्या महत्व है / What is group in Tally erp-9 / Prime and what its Important

Tally में ग्रुप एक बहुत ही मुख्य भूमिका निभाता है जब हम टैली में किसी व्यक्ति ,समूह या वस्तु का खाता बनाते है तो उस व्यक्ति या वस्तु के अंतर्गत हमें किसी एक ग्रुप का चयन करना होता है , ग्रुप चयन के द्वारा ही हमें यह पता चलता है की जिस वस्तु या व्यक्ति का खाता हम टैली में बना रहे है वो हमसे किस प्रकार से जुड़ा हुआ है अर्थात जबतक हमें यह नहीं पता होगा की जो व्यक्ति हमारे व्यवसाय से जुड़ा है वो creditor है या debtor या कंपनी का मालिक , तबतक हमें उस व्यक्ति से लेन देन करने में कठिनाई होगी और व्यवसाय को हानी का सामना करना पड़ सकता है 
टैली में कुल ग्रुप की संख्या 28 है परन्तु इन ग्रुप को दो भागो में बांटा गया है | 

(1) Primary Group  - प्राइमरी ग्रुप में सभी ग्रुपों की संख्या 15 है इन सभी ग्रुप को 2 भागो में विभक्त किया गया है 

 (a) Revenue - यह ग्रुप व्यवसाय के राजस्व को दर्शाते है यह 6 प्रकार के होते है 
  1. DIRECT EXPENSE 
  2. INDIRECT EXPENSE 
  3. DIRECT INCOME
  4. INDIRECT INCOME
  5. SALE ACCOUNT
  6. PURCHESE ACCOUNT

1- DIRECT EXPENSE- वह खर्च जो किसी समान को बनाने में लगता है उसे DIRECT EXPENSE के UNDER में रखते है |

2- INDIRECT EXPENSE – वह खर्च जो किसी समान को बेचने में लागत के रूप में लगता है उसेINDIRCT EXPENSE के अन्तर्गत में रखते है |

3 - DIRECT INCOME – डायरेक्ट इनकम वह इनकम है जो सीधे व्यवसाय गतिविधियों के माध्यम से अर्जित की  जाती है  उसे डायरेक्ट इनकम के अंतर्गत  रखा जाता है |

4-INDIRECT INCOME-वह आय जो गैरव्यवसायिक गतिविधियों के माध्यम से अर्जित किया जाता है | उसे INDIRECT इनकमकेअंतर्गत  रखा जाता है |

5 - SALE ACCOUNT- जब कोई समान किसी को बेचा जाता है तो उसे सेल  अकाउंट के अंतर्गत  रखा जाता  है|

6 - PURCHESE ACCOUNT- जब कोई समान किसी से  ख़रीदा जाता है तो उसे PURCHESE अकाउंट के अंतर्गत रखा  जाता है |

 (b) Non- Revenue - यह ग्रुप व्यवसाय के राजस्व को नहीं दर्शाते इनकी कुल संख्या 9 है |
  1. CAPITAL ACCOUNT

  2. CURRENT ESSETS
  3. FIXED ESSETS
  4. CURRENT LIABILITY
  5. LOAN LAIBILITES
  6. SUSPENSE ACCOUNT
  7. INVESMENTACCOUNT
  8. BRANCHES INDIVISAION
  9. MISCLAINIOUSEXPENCE   

CAPITAL ACCOUNT- जब बिज़नेस को स्टार्ट करने के लिए कोई व्यक्ति पैसा लगता है तो उसे CAPITAL ACCOUNT के अंतर्गत रखते है |

CURRENT ESSETS- जब कोई सम्पति हमारे पास थोड़े समय के लिए रहता है उसे CURRENT ESSETS के अंतर्गत रखते है |

FIXED ESSETS- वह सम्पति जो हमारे पास अस्थायी रूप में मौजूद रहता है उसे FIXED ESSETS के अंतर्गत में रखते है |

CURRENT LIABILITES- वह कर्ज जो हमारे पास थोड़े समय के लिए रहता है उसे CURRENT LAIBILITES के अंतर्गत रखते है |

LOAN LAIBILITES- वह कर्ज जो हमारे पास निश्चित समय के लिए रहता है | उसे LOAN LAIBILITES के अंतर्गत रखते है |

SUSPENSE ACCOUNT– जब व्यापार में यह समझ ना आये समान बेचा गया है या ख़रीदा गया है तो उसे SUSPENSE ACCOUNT के अंतर्गत रखते है |

INVESMENT ACCOUNT– जब कोई पैसा लाभ कमाने केउद्देश्य से किसी कम्पनी में लगते है तो उसे INVESMENT अकाउंट के अंतर्गत रखते है |

BRANCHESE INDIVISION– शाखाओं के लेन देन को BRANCHESE INDIVISION कहते है |

MISCLAINIOUS EXPENCE– जब कोई खर्च व्यर्थ में किया जाता है तो उसे MISCLAINIOUS EXPENCE के अंतर्गत में रखा जाता है |  

(2) Secondary Group - इस ग्रुप की कुल संख्या 13 है 

  1. CASH IN HAND
  2. BANK ACCOUNT
  3. SUNDRY CREDITOR
  4. SUNDRY DEBITOR
  5. DEPOSITE
  6. STOCK IN HAND
  7. LOAN& ADVANCE
  8. DUITES& TEXES
  9. PROVISON
  10. SECURED LOAN
  11. UNSECURED LOAN
  12. Bank OD(over Draft )  or  OCC (open Credit Cash )

1 CASH IN HAND –जब कोई पैसा हमारे पास नकद के रूप में रहता है तो उसे CASH IN HAND के अंतर्गत रखते है

2 BANK ACCOUNT –बैंक से सम्बन्धित खाते को BANK अकाउंट के अंतर्गत रखते है |

3 SUNDRY CREDITOR–जब किसी से उधार समान लेते है तो उसेSUNDRY CREDITOR के अंतर्गत रखते है |

4 SUNDRY DEBITOR –जब किसी को उधार समान बेचते है तो उसे SUNDRY DEBITOR के अंतर्गत रखते है |

5 DEPOSITE–इसके अंतर्गत वह पैसा आता है जिसको हम किसी बैंक में निश्चित समय के लिए रखते है |

6 STOCK IN HAND–जो समान हमारे पास मौजूद होता है उसे STOCK IN HAND के अंतर्गत रखते है |

7 LOAN& ADVANCE–जब किसीको हम उधार पैसा या कर्ज देते है तो उसे LOAN & ADVANCE के अंतर्गत रखते है |

8 DUITES& TEXES –इसकेअंतर्गत वह सभी टेक्स आते है जो सरकार द्वारा लगाया जाता है | T.A ,D.A ,V.A.T, G.S.T

9 PROVISON–जबकिसी अशुद्ध ऋण के लिए जो पैसा पहले से इक्कठा किया जाता है उसको PROVISON के अंतर्गत रखते है |

10 SECURED LOAN–वह लोन जो हमें किसी बैंक से प्राप्त होता है उसे SECURED LOAN के अंतर्गत रखते है |

11 UNSECURED LOAN–वह पैसा जो हमें किसी व्यक्ति से प्राप्त होता है उसे UNSECURED लोन के अंतर्गत रखते है |

12 BANK OD or OCC – जब कोई लोन किसी विशवाशपात्र व्यक्तिको लिमिट से ज्यादा पैसा देता है तो उसे BANK OD or OCC के अंतर्गत रखते है |

13RESURVE & SURPLUS–ये ग्रुप capital अकाउंट के UNDER में आता है अर्थात् जब हमारी पूँजी कम हो जाती है तो दोबारा पूँजी लगते है तो उसे RESURVE& SURPLUS के अंतर्गत रखते है |



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