परिचय
नेपाल, जिसे अक्सर हिमालय का हृदय कहा जाता है, शांति और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है। लेकिन सितंबर 2025 में यह देश अचानक दुनिया की सुर्खियों में आ गया। वजह थी — Gen-Z Protests के नाम से चर्चित बड़े पैमाने पर हुए दंगे।
इन दंगों ने न केवल नेपाल की राजनीतिक व्यवस्था को हिला दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह सवाल उठने लगा कि आखिर नेपाल जैसे शांत देश में इतने बड़े स्तर पर हिंसा क्यों भड़की?
नेपाल की राजनीतिक पृष्ठभूमि
नेपाल लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता का शिकार रहा है।
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2008 में राजशाही समाप्त हुई और लोकतंत्र की शुरुआत हुई।
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लेकिन उसके बाद से लगभग हर कुछ वर्षों में सरकार बदलती रही।
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भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और नेताओं की निजी स्वार्थपूर्ति ने आम जनता का भरोसा तोड़ दिया।
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बेरोजगारी और शिक्षा व्यवस्था की कमज़ोरियाँ युवाओं को निराश करती रही हैं।
इसी पृष्ठभूमि में सोशल मीडिया बैन ने आग में घी डालने का काम किया।
दंगे कब शुरू हुए?
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सितंबर 2025 के पहले हफ्ते में सरकार ने 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स (जैसे Facebook, Instagram, WhatsApp, YouTube, X/Twitter) को अचानक बैन कर दिया।
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सरकार का तर्क था कि इन प्लेटफ़ॉर्म्स का इस्तेमाल “फेक न्यूज़ और भड़काऊ कंटेंट फैलाने” में हो रहा है।
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लेकिन युवाओं ने इसे अपनी आवाज दबाने का प्रयास माना।
शुरुआत में प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे, लेकिन पुलिस कार्रवाई और लाठीचार्ज के बाद यह विरोध हिंसक हो गया।
नेपाल में दंगे क्यों हुए? (विस्तृत कारण)
1. सोशल मीडिया बैन
आज की युवा पीढ़ी सोशल मीडिया को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि अपनी पहचान और अभिव्यक्ति का साधन मानती है। जब यह अचानक छीन लिया गया तो उन्हें लगा कि सरकार उनकी आज़ादी पर हमला कर रही है।
2. भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद
नेपाल की राजनीति पर लंबे समय से भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। सरकारी नौकरियों, ठेकों और पदों में पक्षपात आम बात है। इससे युवाओं में गहरा असंतोष था।
3. बेरोजगारी और आर्थिक संकट
नेपाल की बड़ी आबादी आज भी रोज़गार के लिए भारत, खाड़ी देशों या अन्य जगहों पर काम करने को मजबूर है। देश में रोज़गार की कमी और महंगाई लगातार बढ़ रही है।
4. सरकार पर अविश्वास
लोग मानते हैं कि नेता केवल सत्ता में बने रहने के लिए काम करते हैं, जनता की समस्याओं का समाधान नहीं करते।
5. युवाओं की नाराज़गी
इस आंदोलन को “Gen-Z Protests” नाम मिला क्योंकि इसमें सबसे आगे युवा पीढ़ी थी। उन्हें लगा कि उनका भविष्य अंधेरे में जा रहा है।
दंगों का घटनाक्रम
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शुरुआती विरोध
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काठमांडू और पोखरा में छात्रों ने शांतिपूर्ण मार्च निकाला।
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“No Ban on Social Media” और “We Want Freedom” जैसे नारे लगे।
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पुलिस कार्रवाई
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प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस और लाठियों का इस्तेमाल किया।
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इससे भीड़ और भड़क गई।
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हिंसा और आगजनी
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संसद भवन, सरकारी दफ्तर और नेताओं के घरों पर भीड़ ने हमला कर दिया।
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कई इमारतों में आग लगा दी गई।
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गाड़ियों और दुकानों को भी नुकसान पहुंचा।
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मौतें और घायल
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पुलिस और सेना की गोलीबारी में अब तक 19 लोगों की मौत की पुष्टि हुई।
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सैकड़ों लोग घायल हुए और कई को गिरफ्तार किया गया।
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प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा
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हालात बिगड़ने पर प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफ़ा दे दिया।
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इसके बाद सरकार ने सोशल मीडिया बैन हटा लिया।
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दंगों के परिणाम
1. राजनीतिक असर
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सरकार गिर गई और नेपाल एक बार फिर अस्थिरता के दौर में चला गया।
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नए नेतृत्व की मांग तेज़ हो गई।
2. आर्थिक असर
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पर्यटन उद्योग, जो नेपाल की रीढ़ है, बुरी तरह प्रभावित हुआ।
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दुकानों, होटलों और बाज़ारों में नुकसान हुआ।
3. सामाजिक असर
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जनता और सरकार के बीच अविश्वास और गहरा हो गया।
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समाज में डर और असुरक्षा का माहौल फैल गया।
4. अंतरराष्ट्रीय छवि
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नेपाल की छवि एक “शांतिप्रिय पर्यटन स्थल” से “अशांत और अस्थिर देश” के रूप में सामने आई।
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कई देशों ने अपने नागरिकों को नेपाल यात्रा से बचने की सलाह दी।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
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भारत ने चिंता जताई और नेपाल से शांति बहाल करने की अपील की।
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चीन ने कहा कि यह नेपाल का आंतरिक मामला है, लेकिन स्थिरता ज़रूरी है।
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संयुक्त राष्ट्र ने हिंसा की निंदा की और शांतिपूर्ण समाधान की मांग की।
भविष्य की संभावना
नेपाल के सामने अब दो बड़े रास्ते हैं:
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या तो नेता जनता की आवाज सुनकर सुधार लाएँगे,
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या फिर अस्थिरता और बढ़ेगी और ऐसे दंगे बार-बार हो सकते हैं।
युवाओं को रोजगार, पारदर्शी राजनीति और अभिव्यक्ति की आज़ादी मिलेगी तभी नेपाल एक स्थिर लोकतंत्र की ओर बढ़ पाएगा।
निष्कर्ष
नेपाल में हुए हालिया दंगे केवल सोशल मीडिया बैन का नतीजा नहीं थे। ये उन समस्याओं का विस्फोट थे, जो वर्षों से जमा हो रही थीं — भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, भाई-भतीजावाद और सरकार पर अविश्वास।
अगर नेपाल को स्थिरता चाहिए तो नेताओं को जनता की असली समस्याओं का समाधान करना ही होगा।
✨ परिचय नालंदा विश्वविद्यालय भारत की प्राचीनतम और विश्वविख्या…