बिहार भारत के पूर्वी हिस्से में स्थित है और यह एक मैदानी और नदी-प्रधान राज्य है। इसके भौगोलिक और प्राकृतिक पहलू इसे कृषि, संस्कृति और राजनीति में खास बनाते हैं।
1. बिहार का भौगोलिक क्षेत्र
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बिहार का क्षेत्रफल लगभग 94,000 वर्ग किलोमीटर है।
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उत्तर में हिमालय की पहाड़ियों से जुड़ा छोटा हिस्सा है, और बाकी ज्यादातर मैदानों और नदी घाटियों से भरा है।
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बिहार मुख्य रूप से तीन भौगोलिक हिस्सों में बंटा है:
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उच्च मैदान और पहाड़ी क्षेत्र – शुष्क और कम आबादी वाला क्षेत्र।
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नदी घाटी क्षेत्र – गंगा, कोसी, कमला, बूढ़ी गंडक जैसी नदियाँ बहती हैं।
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उपजाऊ मैदान – खेती और ग्रामीण जीवन का मुख्य आधार।
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2. प्रमुख नदियाँ और जल स्रोत
बिहार की जल संपदा इसे कृषि और जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है।
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गंगा नदी – बिहार की जीवन रेखा, राज्य को उत्तर और दक्षिण में बांटती है।
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कोसी नदी – इसे "बिहार का दुख" भी कहा जाता है क्योंकि बाढ़ की समस्या उत्पन्न करती है।
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कमला और बूढ़ी गंडक – स्थानीय खेती और पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण।
3. जलवायु
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बिहार में उष्णकटिबंधीय मानसून जलवायु है।
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ग्रीष्म ऋतु (मार्च से जून) – बहुत गर्म और उमस भरी।
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मानसून (जुलाई से सितम्बर) – भारी वर्षा, बाढ़ की संभावना।
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शीतकाल (दिसंबर से फरवरी) – ठंडा और सुखद।
4. प्राकृतिक संसाधन
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बिहार में मिट्टी और जल की उपलब्धता अच्छी है, जिससे यह कृषि प्रधान राज्य है।
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यहाँ चूना पत्थर, कोयला और मोतीलाल जैसे खनिज पाए जाते हैं।
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हालांकि, आधुनिक औद्योगिक विकास कम है, इसलिए खनिजों का पूरा उपयोग नहीं हो पाता।
5. बाढ़ और आपदाएँ
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बिहार के कई इलाके सालाना बाढ़ से प्रभावित होते हैं।
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कोसी नदी की बाढ़ सबसे प्रसिद्ध है और इसे “बिहार का संकट” कहा जाता है।
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बाढ़ से खेती, सड़कें, और लोगों का जीवन प्रभावित होता है।
6. भूगोल का राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
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नदी घाटी और बाढ़ के कारण सामाजिक नीतियाँ और सरकारी योजनाएँ हमेशा चर्चा में रहती हैं।
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भूमि पुनरुद्धार, जल प्रबंधन और आपदा राहत कार्य राजनीतिक मुद्दों में शामिल हैं।
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ग्रामीण क्षेत्रों में भौगोलिक परिस्थितियों के कारण विकास की गति धीमी रहती है, जिसे सुधारने के लिए योजनाएँ बनती रहती हैं।
बिहार भारत के पूर्वी हिस्से में स्थित एक प्रमुख राज्य है। इसक…