विंटर डीजल क्या है और यह इस समय यह चर्चा में क्यों है आज हम इस पोस्ट के बारे में अध्ययन करेंगे जहां पर तापमान एकदम कम हो जाता है वहां पर पेट्रोल और डीजल में क्या अंतर आता है कुछ ही दिन पहले न्यूज़ आई थी कि इंडियन आर्मी के vehicles को विंटर डीजल उपलब्ध करने के लिए (IOCL)Indian oil corporation limited ने (DGQA) Directory General Quality of Assurance मेंं अर्जी दाखिल की है यानी कि आर्मी के अंदर एक विभाग होता है जहां पर कोई भी मैट्रियल प्रयोग करने से पहले एक बार उस विभाग से आदेश
लेना होताा है यानी कि डायरेक्टरी जनरल क्वालिटी ऑफ एस्योरेंस एक ऐसाा विभाग है जो आर्मी के सभी गतिविधियों पर निगरानी रखता है जैसे ही यह अप्रूवल मिल जाता है उसके बाद लद्दाख जैसे ऊंचे स्थानों पर विंटर डीजल प्रयोग में ला सकते है यदि भारत और चाइना के सीमा की बात करें तो ज्यादातर यह एक पर्वतीय क्षेत्र हैं जहांं पर लद्दाख भी है सबसे पहले हम जानते हैं कि पार्वती और ठंडे प्रदेशों में वाहनों में विंटर डीजल की आवश्यकता क्योंं पड़ती जब तापमान 0 डिग्री से कम हो जाता है तो उस प्रदेेश में सभी वाहनों पर बर्फ गिरने के कारण सफेद चादर जैसा प्रतीत होता है और यह बल्कि वाहनों के ऊपर नहीं होता है उस वाहन में प्रयोग हुए डीजल कम तापमान के कारण जम जाते हैं जिसकी वजह से वाहन चालू नहीं हो पातेे हैं और कभी कभी गाड़ियों के इंजन भी खराब हो जातेे हैं ऐसा इसलिए होता है कि डीजल में पैराफिन वैक्स का प्रयोग किया जाता है ताकि डीजल में श्यानता और स्नेहता बना रहे लेकिन यह सिर्फ नॉर्मल टेंपरेचर पर कार्य करता है जैसे ही यह 0 डिग्री तापमान से नीचे आता है तो इसमें मिलाया गया पैराफिन वैक्स काम नहीं करता है इसके लिए वहां के प्रवासी डीजल में केरोसिन का प्रयोग करते हैं ताकि डीजल जल्दी ना जमे लेकिन इसके कारण वाहनों में बहुुत परेशानियां देखने को मिलता है और केरोसीन के प्रयोग से वाहनों से प्रदूषण भी जादा निकलता है यह प्रक्रिया सिर्फ डीजल के साथ होता है पेट्रोल किसी भी तापमान में नही जमता ,और जो आधुनिक डीजल इंजन है उनमें यह नुकसान पहुंचा सकती हैं यदि डीजल में केरोसिन का प्रयोग किया गया है तो , इसके अलावा भी वहां के प्रवासी लोग इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए कभी-कभी डीजल के टैंक के नीचे धीमी मात्रा में आग लगा देते हैं और वह धीरे-धीरे माइनस डिग्री से 4 डिग्री से ऊपर चला जाता है और डीजल फिर लिक्विड फॉर्म में आ जाता है लेकिन यह प्रक्रिया बहुत ही खतरनाक है मैं भी आपको सजेस्ट करूंगा की यदि आप भी पर्वती और ठंडेे प्रदेश में जाएं तो आप इस प्रकार का जुगाड़ कभी ना करें नहीं तो हो सकता है आप एक बड़े हादसे का शिकार हो सकते हैै अब बात करते हैं इस प्रॉब्लम से छुटकारा पाने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया एंटीफ्रीज जेल इसके लिए (IOCL) Indian oil corporation limited ने 2019 में डीजल में Anti gel additives का प्रयोग करना शुरू कर दिया इसके प्रयोग से डीजल में मिलाया गया पैराफिन वैक्स लगभग - 38 डिग्री तक फ्रीज नहींं होता है
यह डीजल गृह मंत्री अमित शाह द्वारा जारी किया गया था अब आप सोच रहे होंगे कि जब डीजल में इतनी प्रॉब्लम है तो पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों का प्रयोग क्यों नहीं किया जा सकता है उसमें तो किसी भी प्रकार का जमाव की कोई दिक्कत नहीं है लेकिन पर्वतीय क्षेत्र में ज्यादातर वाहनों का तो प्रयोग होता नहीं है और जो भी टूरिस्ट घूमने के लिए जाते हैं उन लोगों को बसों मे या मिनी बसों में सफर करया जाता है अब यह भी नहीं कहा जा सकता कि वहां पर पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियां नहीं होती हैं वहां पर भी पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियां होती है लेकिन कम मात्रा में और परेशानियां जिनको होती हैं लगभग टूरिस्ट ही होते हैं और यदि सामान आयात और निर्यात करने की बात करें तो डीजल वाहनों का ही प्रयोग किया जाता है और यह इस में सक्षम भी है
लेकिन यह अब चर्चा में क्यों है लद्दाख में पहले से ही आम पेट्रोल पंप पर विंटर डीजल उपलब्ध था लेकिन इस समय न्यूज़ में दिखाया जा रहा है कि भारतीय आर्मी विंटर डीजल का प्रयोग करेंगे ऐसा इसलिए क्योंकि आर्मी के जितने भी गाड़ियां है या ट्रक है वे सभी डीजल पर आधारित है और उन्हें कभी-कभी लंबी दूरियां और कभी-कभी ठंडे और पर्वतीय क्षेत्र में जाना होता है और उन्हें भी इन मुसीबतों का सामना करना पड़ जाता है इससे पहले आर्मी जिस डीजल का प्रयोग करती थी वह BH4 इंजन पर आधारित डीजल था लेकिन आधुनिक डीजल Bh6 इंजन पर आधारित डीजल है जिसकी वजह से प्रदूषण की मात्रा कम होगा