🛂 H1B वीज़ा क्या है? भारत और अन्य देशों पर अमेरिका की नीतियों का प्रभाव

 

परिचय

अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और रोजगार का केंद्र है। लाखों भारतीय और अन्य देशों के प्रोफेशनल्स हर साल वहां काम करने का सपना देखते हैं। इसी सपने को पूरा करने का सबसे बड़ा माध्यम है – H1B वीज़ा। हाल के वर्षों में अमेरिका ने इस वीज़ा को लेकर कई सख्त कदम उठाए हैं जिनका सीधा असर भारत समेत अन्य देशों पर भी पड़ा है।

H1B वीज़ा क्या है?

  • यह एक Non-Immigrant Work Visa है।

  • इसे खासतौर पर Specialty Occupations (जैसे IT, Engineering, Finance, Medicine, Architecture) के लिए जारी किया जाता है।

  • किसी अमेरिकी कंपनी को पहले उम्मीदवार को Hire करना होता है और वही कंपनी H1B स्पॉन्सर करती है।

  • शुरू में यह वीज़ा 3 साल तक वैध होता है जिसे बाद में 6 साल तक बढ़ाया जा सकता है


H1B वीज़ा के लिए योग्यता (Eligibility Criteria)

  1. उम्मीदवार के पास कम से कम Bachelor’s Degree या Higher Qualification हो।

  2. Degree उसी Field of Occupation से संबंधित हो जिसमें जॉब मिल रही है।

  3. अमेरिकी कंपनी को यह साबित करना होता है कि इस काम के लिए वहां कोई स्थानीय (US citizen) उपलब्ध नहीं है।


भारतीयों के लिए H1B वीज़ा का महत्व

  • अमेरिका में हर साल 85,000 H1B वीज़ा जारी होते हैं

  • इसमें से लगभग 60–70% भारतीयों को मिलते हैं

  • भारतीय IT कंपनियां जैसे TCS, Infosys, Wipro, HCL और अन्य टेक जायंट्स (Google, Microsoft, Amazon) भारतीय प्रोफेशनल्स को अमेरिका भेजती हैं।


अमेरिका की वर्तमान नीतियां और भारत पर असर

अमेरिका ने हाल ही में H1B वीज़ा को लेकर कई बदलाव किए हैं:

1. Lottery System में पारदर्शिता

पहले एक ही उम्मीदवार को कई कंपनियां Apply करा सकती थीं, अब USCIS (United States Citizenship and Immigration Services) ने इस पर सख्ती की है।

2. Worksite Inspections

अमेरिकी सरकार अब भारतीय कंपनियों द्वारा भेजे गए कर्मचारियों के वर्कसाइट पर जाकर जांच कर रही है।

3. Fee Structure में बदलाव

  • अप्रैल 2024 से H1B वीज़ा प्रोसेसिंग की फीस बढ़ा दी गई।

  • इससे भारतीय IT कंपनियों पर वित्तीय बोझ बढ़ा है।

4. ‘America First’ Policy का असर

भारत सबसे बड़ा प्रभावित देश है क्योंकि सबसे ज्यादा H1B वीज़ा भारतीयों को मिलते हैं


क्या सिर्फ भारत ही प्रभावित है?

नहीं ❌। अमेरिका की यह सख्ती केवल भारत तक सीमित नहीं है। कई अन्य देश भी प्रभावित हुए हैं।

अन्य प्रभावित देश:

  1. चीन (China) – टेक और इंजीनियरिंग सेक्टर से बड़े पैमाने पर लोग H1B वीज़ा लेते हैं।

  2. फिलीपींस (Philippines) – हेल्थकेयर और मेडिकल क्षेत्र में बड़ी संख्या में वीज़ा यूज़ होता है।

  3. दक्षिण कोरिया (South Korea) – इंजीनियरिंग और रिसर्च सेक्टर।

  4. कनाडा (Canada) – कई लोग कनाडा से US में जॉब शिफ्ट करते हैं, उस पर भी असर पड़ा।


H1B वीज़ा की चुनौतियाँ

  • कड़ी Competition – हर साल लाखों आवेदन आते हैं पर सिर्फ 85,000 वीज़ा ही मिलते हैं।

  • Uncertainty – Lottery system में चयन न होना।

  • Policy Changes – अमेरिका की राजनीतिक परिस्थिति के हिसाब से नियम बदलते रहते हैं।


भारत के लिए विकल्प

अगर H1B वीज़ा पाना कठिन हो रहा है तो भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए अन्य रास्ते भी हैं:

  1. Canada Work Permit

  2. Australia PR (Permanent Residency)

  3. UK Skilled Worker Visa

  4. Germany Blue Card


निष्कर्ष

H1B वीज़ा भारतीय युवाओं के लिए अमेरिकी सपनों का रास्ता है। हालांकि, अमेरिका की नीतियां अब ज्यादा सख्त हो गई हैं। यह केवल भारत ही नहीं बल्कि चीन, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया और कनाडा जैसे देशों को भी प्रभावित कर रहा है।

👉 इसलिए, भारतीय प्रोफेशनल्स को अब केवल H1B वीज़ा पर निर्भर रहने के बजाय अन्य देशों और विकल्पों की तरफ भी देखना चाहिए।




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